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Showing posts from December, 2020

महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान

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  महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान IMPORTANT FACT *ऐसे कानून और अधिकार जो हर भारतीय को जानने चाहिए...* 1. ड्राइविंग के समय यदि आपके 100ml ब्लड में अल्कोहल का लेवल 30mg से ज्यादा मिलता है तो पुलिस बिना वारंट आपको गिरफ्तार कर सकती है | *मोटर वाहन एक्ट, 1988, सेक्शन -185, 202* 2. किसी भी महिला को शाम 6 बजे के बाद और सुबह 6 बजे से पहले गिरफ्तार नही किया जा सकता है | *आपराधिक प्रक्रिया संहिता, सेक्शन 46* 3. पुलिस अफसर FIR लिखने से मना नही कर सकते, ऐसा करने पर उन्हें 6 महीने से 1 साल तक की जेल हो सकती है| *भारतीय दंड संहिता, 166 A* 4. कोई भी होटल चाहे वो 5 स्टार ही क्यों न हो, आपको फ्री में पानी पीने और वाशरूम का इस्तेमाल करने से नही रोक सकता है | *भारतीय सरिउस अधिनियम 1887* 5. एक पुलिस अधिकारी हमेशा ही ड्यूटी पर होता है चाहे उसने यूनिफार्म पहनी हो या नही | यदि कोई व्यक्ति इस अधिकारी से कोई शिकायत करता है तो वह यह नही कह सकता कि वह पीड़ित की मदद नही कर सकता क्योंकि वह ड्यूटी पर नही है | *पुलिस एक्ट,1861* 6. कोई भी कंपनी गर्भवती महिला को नौकरी से नहीं निकाल सकती, ऐसा करने पर अधिकतम 3 साल तक की सजा...

आखिर क्यों परायी हैं बेटिया

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आखिर क्यों परायी हैं बेटिया.? sksinghsatya.blogspot.com   बेटी जब शादी के मंडप से ससुराल जाती है तब पराई नहीं लगती मगर जब वह मायके आकर हाथ मुंह धोने के बाद सामने टंगे टाविल के बजाय अपने बैग से छोटे से रुमाल से मुंह पौंछती है , तब वह पराई लगती है. जब वह रसोई के दरवाजे पर अपरिचित सी खड़ी हो जाती है , तब वह पराई लगती है. जब वह पानी के गिलास के लिए इधर उधर आँखें घुमाती है , तब वह पराई लगती है. जब वह पूछती है वाशिंग मशीन चलाऊँ क्या तब वह पराई लगती है. जब टेबल पर खाना लगने के बाद भी बर्तन खोल कर नहीं देखती तब वह पराई लगती है. जब पैसे गिनते समय अपनी नजरें चुराती है तब वह पराई लगती है. जब बात बात पर अनावश्यक ठहाके लगाकर खुश होने का नाटक करती है तब वह पराई लगती है..... और लौटते समय 'अब कब आएगी' के जवाब में 'देखो कब आना होता है' यह जवाब देती है, तब हमेशा के लिए पराई हो गई ऐसे लगती है. लेकिन गाड़ी में बैठने के बाद जब वह चुपके से  अपनी आखें छुपा के सुखाने की कोशिश करती । तो वह परायापन एक झटके में बह जाता तब वो पराई सी लगती, नहीं चाहिए हिस्सा भइया मेरा मायका सजाए रखना , कुछ ना देना मु...

मेरी माँ (कविता)

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मेरी माँ (कविता) sksinghsatya.blogspot.com   मेरी माँ (कविता) चुपके चुपके मन ही मन में खुद को रोते देख रहा हूँ बेबस होके अपनी माँ को बूढ़ा होता देख रहा हूँ रचा है बचपन की आँखों में खिला खिला सा माँ का रूप जैसे जाड़े के मौसम में नरम गरम मखमल सी धूप धीरे धीरे सपनों के इस रूप को खोते देख रहा हूँ बेबस होके अपनी माँ को बूढ़ा होता देख रहा हूँ... छूट छूट गया है धीरे धीरे माँ के हाथ का खाना भी छीन लिया है वक्त ने उसकी बातों भरा खजाना भी घर की मालकिन को घर के कोने में सोते देख रहा हूँ चुपके चुपके मन ही मन में खुद को रोते देख रहा हूँ... बेबस होके अपनी माँ को बूढ़ा होता देख रहा हूँ...                                ✍SK Singh "Satya"